sambidhan divas:
दोस्तों जैसा की आप जनतें है कि भारत को सन 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली लेकिन संबिधान( sambidhan divas)को बनने मे 2 वर्ष 11 महिना और 18 दिन लगे |संबिधान को जब 26 नवंबर 1949 को संबिधान सभा द्वारा पारित किया गया इसीलिए 26 नवंबर को संबिधान दिवस के रूप मे मानतें हैं.
संविधान दिवस: भारतीय लोकतंत्र की नींव:
26 november को भारत मी संबिधान दिवस के रूप मे मनाया जाता है.जिसे संबिधान सभा द्वारा पारित किया गया तब इसमे कुल २२ भाग ३९५ अनुच्छेद और ८ अनुसूची थी|जबकी वर्तमान समय में २२ भाग ३९५ अनुच्छेद और १२ अनुसूची है.इस दिन को मनाने का उद्देश्य भारतीय संविधान की ताकत, उसकी लोकतांत्रिक व्यवस्था, और नागरिकों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना है।भारत का संविधान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की नींव है, और इसे 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था।
संविधान का महत्व:(sambidhan divas)
भारत का संबिधान एक लिखित संबिधान है |यह हमारे अधिकारों, कर्तव्यों, और राज्य के संरचनात्मक ढांचे को निर्धारित करता है। भारतीय संविधान दुनिया के सबसे लंबे और विस्तृत संविधान में से एक है, जिसमें 448 आर्टिकल्स, २२ भाग ३९५ अनुच्छेद और 119 संशोधन हैं। यह भारतीय लोकतंत्र को स्थिर बनाए रखने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाता है।
संविधान दिवस का इतिहास:(sambidhan divas)
संविधान दिवस का आयोजन 26 नवम्बर 1949 के दिन भारतीय संविधान की स्वीकृति के 66 साल बाद 2015 में शुरू हुआ। इससे पहले, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता था, जब भारतीय संविधान को लागू किया गया था। 2015 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस की शुरुआत की और इस दिन को विशेष रूप से मनाने का निर्णय लिया। इस दिन को मनाने का उद्देश्य भारतीय संविधान के महत्व को सभी नागरिकों तक पहुंचाना है।
संविधान दिवस का उद्देश्य केवल भारतीय संविधान की स्वीकृति को याद करना नहीं है, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय संविधान के आदर्शों को समझना और उनका पालन करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर संविधान के उद्देशिका को पढ़ने का आह्वान किया और सभी नागरिकों से संविधान के प्रति अपने कर्तव्यों और अधिकारों को समझने की अपील की।
संविधान का निर्माण:(sambidhan divas)
संविधान के निर्माण में बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का अहम योगदान था। वे संविधान सभा के अध्यक्ष थे और उन्होंने संविधान के ढांचे को तैयार करने में मुख्य भूमिका निभाई। डॉ. अंबेडकर का कहना था कि “संविधान एक ऐसी किताब है जो किसी भी राष्ट्र को अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने और समाज में समानता लाने में मदद करती है।” भारतीय संविधान को बनाने में डॉ. अंबेडकर ने अपने अथक प्रयासों से भारतीय समाज की विविधता और सामाजिक असमानताओं को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए।
कैबिनेत मिशन कि संसुतीयोन के आधार पार भारतीय संबिधान कि निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन july 1946 में किया गया |संबिधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 निश्चित की गई थी जिसमें 292 ब्रिटिश प्रान्तों के प्रतिनिधियों 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि और 93 देसी रियासतों के प्रतिनिधि |
9 दिसंबर 1946 को संबिधान सभा की प्रथम बैठक न्यू दिल्ली मे कौंसिल चैम्बर के पुस्तकालय भवन मे हुआ था |
भारतीय संविधान और मानवाधिकार:(sambidhan divas)
संविधान का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह मानवाधिकारों की रक्षा करता है। भारतीय संविधान में निहित “मूल अधिकार” (Fundamental Rights) व्यक्ति की स्वतंत्रता और गरिमा को संरक्षित करने के लिए अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किए गए हैं।
(1)समानता का अधिकार (Right to Equality): यह अधिकार नागरिकों को किसी भी प्रकार के भेदभाव से बचाता है। इसमें जाति, धर्म, लिंग या अन्य किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।
(2)स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom): यह अधिकार नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सम्मिलन और सभा की स्वतंत्रता, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता शामिल हैं।
(3)शोषण के खिलाफ अधिकार (Right Against Exploitation): यह अधिकार किसी भी प्रकार के शोषण से नागरिकों को बचाता है, जैसे बाल श्रम, उत्पीड़न या जबरन श्रम।
(4)धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom of Religion): यह अधिकार नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने, उसका प्रचार करने, और धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
(5)संस्कृति और शिक्षा का अधिकार (Right to Culture and Education): यह अधिकार अल्पसंख्यक समुदायों को अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान बनाए रखने का अधिकार प्रदान करता है, साथ ही शिक्षा प्राप्त करने का भी अधिकार देता है।
(6)संविधानिक उपचार का अधिकार (Right to Constitutional Remedies): यदि कोई व्यक्ति अपने मूल अधिकारों का उल्लंघन देखता है, तो उसे न्यायालय में जाने का अधिकार होता है, और यह अधिकार न्याय सुनिश्चित करता है।
संविधान दिवस और हमारा कर्तव्य:
संविधान दिवस का यह अवसर हमें संविधान को समझने और उसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी का अहसास कराता है। संविधान ने हमें जो अधिकार दिए हैं, उनका पालन करना और उनका संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है। हमें यह याद रखना चाहिए कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह हमारे अधिकारों और कर्तव्यों का मार्गदर्शन करता है।
और 26 जनवरी 1950 को हमारा संबिधान लागू किया गया |
धन्यबाद
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