शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) – डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की स्मृति में
भारत में हर साल शिक्षक दिवस (5 सितम्बर)को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन देशभर के विद्यार्थियों और नागरिकों के लिए अपने शिक्षकों के प्रति आदर और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर होता है। इस विशेष दिन को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर मनाया जाता है, जो भारत के दूसरे राष्ट्रपति और एक महान शिक्षक, दार्शनिक तथा शिक्षाविद् थे।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षक दिवस (5 सितम्बर)कौन थे?
- जन्म: 5 सितम्बर 1888, तिरुत्तनी (तमिलनाडु)
- निधन: 17 अप्रैल 1975
- पद: भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति (1952-1962) और द्वितीय राष्ट्रपति (1962-1967)
- व्यवसाय: दार्शनिक, शिक्षक, लेखक और विचारक
डॉ. राधाकृष्णन ने अपने जीवन का अधिकांश भाग अध्यापन और शोध को समर्पित किया। उन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxford University) और कई भारतीय विश्वविद्यालयों में दर्शनशास्त्र पढ़ाया। उनकी लिखी किताबें और शोध आज भी विश्वभर में पढ़े और सराहे जाते हैं।
5 सितम्बर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस?
1962 में जब डॉ. राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने, तो उनके कुछ शिष्यों और मित्रों ने उनसे उनकी जन्मदिन मनाने की अनुमति मांगी। इस पर उन्होंने कहा:
“यदि आप लोग सचमुच मुझे सम्मान देना चाहते हैं तो मेरे जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाइए।”
तब से लेकर आज तक भारत में 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
भारतीय संस्कृति में गुरु का महत्व , शिक्षक दिवस (5 सितम्बर)
भारतीय संस्कृति में गुरु को अत्यंत उच्च स्थान दिया गया है। प्राचीन काल से ही कहा गया है:
“गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः।
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः।। ”
इस श्लोक का अर्थ है कि गुरु ही सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता के समान हैं। वे हमें अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान का प्रकाश दिखाते हैं।

शिक्षक दिवस (5 सितम्बर)कैसे मनाया जाता है?
भारत में शिक्षक दिवस बड़ी उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है।
- स्कूल और कॉलेजों में कार्यक्रम: विद्यार्थी नृत्य, गीत, नाटक और भाषण प्रस्तुत करते हैं।
- भूमिका परिवर्तन (Role Reversal): कई जगह विद्यार्थी एक दिन के लिए शिक्षक बनकर कक्षा लेते हैं।
- सम्मान समारोह: शिक्षकों को पुरस्कार और सम्मान दिए जाते हैं।
- शुभकामनाएँ और उपहार: छात्र अपने शिक्षकों को कार्ड, फूल और उपहार देकर धन्यवाद व्यक्त करते हैं।
डॉ. राधाकृष्णन शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) का शिक्षा दर्शन
डॉ. राधाकृष्णन का मानना था कि शिक्षा केवल नौकरी पाने का साधन नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और नैतिक मूल्यों को विकसित करने का माध्यम है।
उनके विचार:
- शिक्षा से आत्मबोध और आत्मअनुशासन विकसित होना चाहिए।
- शिक्षक केवल पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि मार्गदर्शक और प्रेरक होने चाहिए।
- ज्ञान का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि मानवता की सेवा करना है।
- शिक्षा से समाज में शांति और सद्भावना स्थापित हो सकती है।
शिक्षक: राष्ट्र निर्माता शिक्षक दिवस (5 सितम्बर)
किसी भी राष्ट्र की प्रगति उसके शिक्षकों पर निर्भर करती है। डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, नेता, उद्यमी – सब अपने जीवन में एक अच्छे शिक्षक की देन होते हैं। इसी कारण डॉ. राधाकृष्णन कहते थे:
“Teachers should be the best minds in the country.”
आज के समय में शिक्षकों की चुनौतियाँ शिक्षक दिवस (5 सितम्बर)
- तकनीकी बदलाव – ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल
- बढ़ता शैक्षिक दबाव – परिणाम और रैंकिंग का दबाव
- बड़े वर्गों का प्रबंधन – संसाधनों की कमी
- व्यक्तिगत और व्यावसायिक संतुलन – परिवार और छात्रों दोनों के लिए समय देना
इन सबके बावजूद शिक्षक अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं।
विद्यार्थी शिक्षक शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) को कैसे सम्मान दे सकते हैं?
- कक्षा में ध्यान लगाना और अनुशासन बनाए रखना
- शिक्षक द्वारा दी गई सीख को जीवन में अपनाना
- आभार व्यक्त करने के लिए धन्यवाद पत्र या संदेश लिखना
- पुराने शिक्षकों से संपर्क बनाए रखना
- उनके योगदान को हमेशा याद रखना
शिक्षक दिवस पर सामान्य प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: भारत में शिक्षक दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर: हर साल 5 सितम्बर को, डॉ. राधाकृष्णन की जयंती पर।
प्रश्न 2: शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: शिक्षकों के योगदान का सम्मान करने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए।
प्रश्न 3: शिक्षक दिवस की शुरुआत कब हुई थी?
उत्तर: 1962 से, जब डॉ. राधाकृष्णन राष्ट्रपति बने।
प्रश्न 4: स्कूलों में शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाता है?
उत्तर: सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषण, नाटक, भूमिका परिवर्तन और शिक्षकों को उपहार देकर।
प्रश्न 5: डॉ. राधाकृष्णन की शिक्षा पर क्या सोच थी?
उत्तर: शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान, नैतिकता और मानवता की सेवा होना चाहिए।
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